GOVERNING BODY

S.No.आत्मा शासी परिषद के सदस्य : 
1.जिला पदाधिकारी, कटिहार अध्यक्ष
2.उप विकास आयुक्त, कटिहारउपाध्यक्ष
3.कार्यक्रम समन्वयक,के ० वि0के0,जलालगढ़,पूर्णियाँसदस्य
4.महाप्रबंधक,जिला उधोग केन्द्र, पूर्णियाँसदस्य
5.अग्रणी बैंक प्रबंधक, पूर्णियाँसदस्य
6.अन्न उत्पादक किसानसदस्य
7.फलसब्जी उत्पादक किसानसदस्य
8.पशुपालन से जुड़े किसानसदस्य
9.मत्स्यपालक किसानसदस्य
10.महिला हित समूह की प्रतिनिधिसदस्य
11.अ0जा0अ0ज0जा0 किसानसदस्य
12.स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधिसदस्य
13.उपादान आपूर्तिकत्र्ता संघ के प्रतिनिधिसदस्य
14.परियोजना निदेशकसदस्य सचिव

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सदस्यों की नियुकित

  •  गैर सरकारी सदस्यों की नियुकित दो वर्ष की अवधि के लिये शासी परिषद के अध्यक्ष की सिफारिश पर प्रधान सचिव, कृषि विभाग,बिहार सरकार द्वारा की जाती है ।
  •  प्रारंभिक कुछ गैर सरकारी नियुकित सदस्यों में से लगभग 23 सदस्यों की सदस्यता शासी परिषद में एक और अतिरिक्त वर्ष के लिए बढ़ार्इ जा सकती है ।
  •  शासी परिषद में नियुक्त कुल कृषक प्रतिनिधियों में से 20 प्रतिशत प्रतिनिधि महिला कृषक होती है,ताकि उनके हितों को पूर्ण प्रतिनिधित्व द्वारा सुनिशिचत किया जाये ।

 

आत्मा शासी परिषद के मुख्य कार्य :

  •  सहभागदारी इकाइयों के द्वारा तैयार एवं प्रस्तुत की गर्इ सामरिक अनुसंधान एवं योजना(एस0आर0र्इ0पी0) तथा वार्षिक कार्य योजना की समीक्षा तथा अनुमति प्रदान करना ।
  •  सहभागीदार इकाइयों के द्वारा प्रस्तुत वार्षिक प्रतिवेदनों की प्रापित एवं समीक्षा करना तथा आवश्यकतानुसार जिले में अनुसंधान एवं प्रसार की चलार्इ जा रही कार्यविधियों के विषय में जानकारी एवं निर्देश देना।
  •  जिले में अनुसंधान,प्रसार एवं संबंधित गतिविधियों की प्राथमिकता तय करने हेतु परियोजना राशि की प्रापित एवं आवंटन करना ।
  •  जिले से षक हित समूहों एवं कृषक संगठनों का विकास तथा संगठन करना।
  •  कृषकों को निवेश तकनीकी सहायता,कृषि प्रसंस्करण एवं विपणन सेवाओं को उपलब्ध कराने में निजी क्षेत्रों,फर्म तथा संगठनों की अधिक भागदारी को सुगम करना ।
  •  कृषि निवेश संस्थाओं को गरीब तथा सीमांत कृषकों विशेषकर अनुसूचितजनजाति तथा महिला कृषकों को अत्यधिक राशि उपलब्ध कराने हेतु प्रोत्साहित करना ।
  • प्रत्येक लार्इन विभाग,कृषि विज्ञान केन्द्र तथा क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र को अपने अनुसंधान एवं प्रसार कार्यक्रमों में और ज्यादा फीडबैक एवं उपादान के लिए कृषक सलाहकार समितियों की स्थापना करने हेतु प्रोत्साहित करना ।
  • जिलें में कृषि विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन एवं सहायता देने हेतु उचित अनुबंध करार देना ।
  •  प्रत्येक सहभागी इकार्इ के लिये रिवालिंवग फंडखातों की स्थापना करना तथा प्रत्येक इकार्इ को तकनीकी सेवायें जैसे-कृत्रम गर्भाधान,मृदा परीक्षण सेवायें आंशिक लागत वसूली के आधार से आगे चरणबद्ध ढंग से बढ़ाते हुए पूर्ण लागत वसूली के आधार से आगे चरणबद्ध ढंग से बढ़ाते हुए पूर्ण लागत वसूली के आधार पर उपलब्ध कराने हेतु प्रोत्साहित करना ।
  •  आत्मा के वित्तीय लेखों का समय-समय पर लेखा जाँच करना।